ये कहानी दुनिया के खतरनाक ओपनर बल्लेबाजों में शामिल गॉर्डन ग्रीनिज की है. जिन्होंने वेस्टइंडीज के लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 37 हजार से अधिक रन बना दिए।
बारबाडोस में जन्मे इस क्रिकेटर पर 8 साल की उम्र में ही पहाड़ टूट पड़ा. मां ने नौकरी के लिए घर छोड़ दिया और वे लंदन चली गईं. ऐसे में ग्रीनिज को नानी के साथ रहना पड़ा.
संघर्ष के दिनों में उन्हें पीठ पर खाद का बोरा तक ढोना पड़ा, ताकि घर चलाया जा सके. उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी में लिखा, “8 साल की उम्र में मां नौकरी में अच्छे मौके की तलाश में लंदन चली गईं.
काम के दौरान उन्हें एक व्यक्ति से प्यार हो गया. शादी के बाद मेरा नाम गॉर्डन ग्रीनिज हो गया.’ उन्होंने आगे लिखा कि जब मैं करीब 14 साल का था, तब लंदन आया. फिर अपने सौतेले पिता के साथ रहने लगा.
अश्वेत होने की वजह से उन्हें दूसरे साथी ब्लैक बास्टर्ड कहकर बुलाते थे. तब तक उन्होंने क्रिकेट को करियर तक बनाने की नहीं सोची थी. ग्रेजएशन के दौरान उन्होंने क्लब क्रिकेट खेलना शुरू किया.
उन्हें इंग्लिश क्लब हैंपशायर से खेलना शुरू किया, लेकिन लगभग 2 साल की नाकामी के बाद 1969 में क्लब से उनका करार लगभग खत्म ही होने वाला था.
इसके बाद उन्होंने वापसी की ,ग्रीनिज चूंकी इंग्लैंड में रह रहे थे. ऐसे में उन्हें इंग्लैंड की टीम में भी जगह मिल सकती थी, लेकिन उन्होंने वेस्टइंडीज को चुना .
उन्होंने वेस्ट इंडीज की तरफ से 1974 में भारत के खिला बंगलोर में डेब्यू किया ,ग्रीनिज ने पहली पारी में 93 जबकि दूसरी पारी में 107 रन बनाए. और टीम ने यह मुकाबला 267 रन के बड़े अंतर से जीता भी.
उन्होंने 108 टेस्ट की 185 पारियों में 45 की औसत से 7558 रन बनाए. 19 शतक और 34 अर्धशतक लगाया. 226 रन बेस्ट स्कोर रहा. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने 92 शतक के दम पर 37354 रन बनाए.
1984 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में उनका यादगार दोहरा शतक आज भी सभी को याद है. इंग्लैंड ने वेस्टइंडीज को 342 रन का टारगेट दिया था.
5वें दिन बल्लेबाजी वैसे भी आसान नहीं रहती है. ग्रीनिज ने 242 गेंद पर नाबाद 214 रन की पारी खेलकर वेस्टइंडीज को यादगार जीत दिलाई थी.
गॉर्डन ग्रीनिज दुनिया के इकलौते ऐसे बैटर हैं, जिन्होंने अपने 100वें टेस्ट और 100वें वनडे दोनों में शतकीय पारी खेली.
इतना ही नहीं अपने पहले और 100वें टेस्ट में भी शतक जड़ने का वे कारनामा कर चुके हैं. बाद में बतौर कोच उन्होंने बांग्लादेश के क्रिकेट को बढ़ाने में अहम योगदान दिया.