आखिर क्यों लिखा होता है रेलवे स्टेशन का नाम पिले रंग के बोर्ड पे, अभी जान लें 

 रेलवे स्टेशनों के नाम पीले रंग के बोर्ड पर लिखे होते हैं। लेकिन कभी सोचा है कि आखिर स्टेशनों के नाम केवल पीले रंग के बोर्ड पर ही क्यों लिखे जाते हैं। इसमें दूसरे रंग का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता Credit Social Media

कुछ लोग जरूर जानते होंगे कुछ लोग इसके बारे में जरूर जानते होंगे जबकि कईयों ने इस ध्यान भी नहीं दिया होगा। Credit Twitter

आज जान लें इसका जवाब जो लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं वो आज जान लें कि आखिर रेलवे ऐसा क्यों करता है Credit Twitter

​​पीले रंग की वेवलेंथ तीसरे नंबर पर​ दरअसल पीले रंग की वेवलेंथ तीसरे नंबर पर है। जिस रंग की वेवलेंथ जितनी लंबी होती है उसे उतनी ही दूर से देखा जा सकता है। पीला रंग काफी चमकदार होता है जो ट्रेन के ड्राइवर को दूर से ही दिख जाता है। Credit Twitter

​​बारिश कोहरे या धुंध में भी पीले रंग को पहचाना जा सकता है। ​ इस रंग को बारिश कोहरे या धुंध में भी पहचाना जा सकता है। लाल रंग के बाद पीले रंग की वेवलेंथ ही सबसे ज्यादा होती है। Credit Twitter

पीला रंग ठहरने का भी संकेत इसके अलावा पीला रंग ठहरने का भी संकेत देता है। पीले रंग के बोर्ड ट्रेन के लोको पायलट को गति धीमी करने और सतर्क रहने के संकेत देते हैं। Credit Twitter

काले रंग से स्टेशनों के नाम लिखे जाते हैं। वहीं पीले रंग के बोर्ड पर काले रंग से स्टेशनों के नाम लिखे जाते हैं। Credit Twitter

पीला रंग दूर से भी साफ दिख जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि कलर कॉन्ट्रास्ट की वजह से काला रंग पीले पर ज्यादा उभर कर आता है और दूर से साफसाफ दिखता है। Credit Twitter

लोको पायलट को भी साफ पता चल जाता है। बोर्ड पर लिखे शब्दों का पढ़ने में मुश्किल नहीं होती है। ट्रेन चलाते वक्त लोको पायलट को दूर से ही बोर्ड और उस पर लिखे शब्द दिखने लगते हैं और वह उसी के हिसाब से ट्रेन की गति बढ़ाने घटाने या ब्रेक लगाने का काम करता है। Credit Twitter

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