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Border Gavaskar Trophy 2001: कैसे गांगुली ने भारतीय क्रिकेट को हमेशा के लिए बदल दिया और भारत ने रचा इतिहास

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Border Gavaskar Trophy 2001: साल 2001, भारतीय क्रिकेट के लिए एक निर्णायक मोड़ था। टीम इंडिया, ऑस्ट्रेलिया में 3-0 से टेस्ट सीरीज़ हारकर लौटी थी। कप्तान सौरव गांगुली की अगुवाई में टीम का मनोबल टूटा हुआ था।

Border Gavaskar Trophy 2001 Exclusive Story
Border Gavaskar Trophy 2001 Exclusive Story

सबसे बड़ा झटका यह था कि भारत के स्टार लेग स्पिनर अनिल कुंबले चोट के कारण टीम से बाहर थे। दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया अपने स्वर्णिम दौर में थी, 1999 से 2001 के बीच लगातार 15 टेस्ट मैच जीत चुकी थी। स्टीव वॉ की कप्तानी में वह एक ऐसी टीम बन चुकी थी, जिसे हराना लगभग असंभव माना जाता था। भारत में भी ऑस्ट्रेलिया का दबदबा साफ दिख रहा था।

हरभजन सिंह की वापसी: एक जुआ

अनिल कुंबले के बाहर होने के बाद, भारतीय टीम को एक ऐसे स्पिनर की तलाश थी जो ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को चुनौती दे सके। हरभजन सिंह, जो टीम से बाहर चल रहे थे, उन्हें वापस बुलाया गया। चयनकर्ताओं को उनके स्वभाव और अनुशासन पर शंका थी, लेकिन सौरव गांगुली ने उनकी प्रतिभा पर भरोसा जताया। 

गांगुली ने कहा, "अगर यह दांव उल्टा पड़ता है तो मेरी कप्तानी खतरे में पड़ सकती है, लेकिन मुझे हरभजन चाहिए।" यह एक बड़ा जोखिम था, क्योंकि हरभजन का करियर भी दांव पर था।

Border Gavaskar Trophy 2001 पहला टेस्ट (मुंबई)

22 फरवरी 2001 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में पहला टेस्ट शुरू हुआ। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 10 विकेट से हरा दिया। हरभजन ने जरूर 4 विकेट लिए, लेकिन टीम की हार ने सबको निराश कर दिया। एंडी फ्लावर ने हाल ही में भारत के खिलाफ रिवर्स स्वीप खेलकर भारतीय स्पिन अटैक की कमजोरी उजागर की थी। ऑस्ट्रेलिया ने भी वही रणनीति अपनाई। मैथ्यू हेडन ने सीरीज में रिवर्स स्वीप का भरपूर इस्तेमाल किया, और पहले टेस्ट में ही भारत की बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों विफल रही।

दूसरा टेस्ट – ईडन गार्डन्स: भारतीय क्रिकेट का पुनर्जन्म

पहली पारी: ऑस्ट्रेलिया का दबदबा, हरभजन की हैट्रिक

11 मार्च 2001, कोलकाता का ईडन गार्डन्स, 90,000 दर्शकों के सामने ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी चुनी। मैथ्यू हेडन और जस्टिन लैंगर ने तेज शुरुआत दी। लेकिन हरभजन सिंह ने इतिहास रच दिया, उन्होंने रिकी पोंटिंग, एडम गिलक्रिस्ट और शेन वॉर्न को लगातार गेंदों पर आउट कर भारतीय टेस्ट इतिहास की पहली हैट्रिक ली। ऑस्ट्रेलिया 445 रन बनाकर ऑलआउट हुआ, जिसमें हेडन के 97 और स्टीव वॉ के 110 रन शामिल थे।

भारत की पहली पारी: निराशा और फॉलोऑन

भारतीय बल्लेबाजी बिखर गई। ग्लेन मैक्ग्राथ और जेसन गिलेस्पी की गेंदबाजी के आगे सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे सितारे टिक नहीं पाए। पूरी टीम 171 रन पर सिमट गई। ऑस्ट्रेलिया ने फॉलोऑन दिया, एक ऐसा पल, जब लगभग पूरा देश हार मान चुका था। स्टीव वॉ ने ड्रेसिंग रूम में जश्न शुरू कर दिया, खिलाड़ियों ने गोल्फ खेलने के प्लान बना लिए थे।

दूसरी पारी: लक्ष्मण-द्रविड़ की अमर साझेदारी

दूसरी पारी में, कोच जॉन राइट और कप्तान गांगुली ने बड़ा फैसला लिया, लक्ष्मण को नंबर 3 पर भेजा गया। लक्ष्मण, जिनकी पीठ में दर्द था, और द्रविड़, जो बीमार थे, दोनों क्रीज पर डटे। अगले दो दिन तक दोनों ने बल्लेबाजी की ऐसी मिसाल पेश की, जो आज भी क्रिकेट इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। लक्ष्मण ने 281 और द्रविड़ ने 180 रन बनाए। दोनों ने मिलकर 376 रन की साझेदारी की, जो टेस्ट क्रिकेट में फॉलोऑन के बाद सबसे बड़ी साझेदारी थी। भारत ने 657/7 पर पारी घोषित की।

आखिरी दिन: हरभजन-सचिन का जादू

अब ऑस्ट्रेलिया को 384 रन का लक्ष्य मिला था, लेकिन उनका उद्देश्य मैच बचाना था। गांगुली ने मास्टरस्ट्रोक खेला, सचिन तेंदुलकर को गेंद थमा दी। सचिन ने गिलक्रिस्ट, वॉर्न और स्लेटर के विकेट लिए। हरभजन ने आखिरी विकेट लेकर भारत को 171 रन से ऐतिहासिक जीत दिलाई। यह टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में तीसरी बार था जब कोई टीम फॉलोऑन के बाद मैच जीत पाई थी (पहले इंग्लैंड 1894 और ऑस्ट्रेलिया 1981 में कर चुके थे)।

तीसरा टेस्ट (चेन्नई): निर्णायक जंग

पहली पारी: हेडन का दोहरा शतक, भारत की वापसी

चेन्नई में तीसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 391 रन बनाए, जिसमें मैथ्यू हेडन ने 203 रन की शानदार पारी खेली। भारत ने जवाब में 501 रन बनाए, जिसमें सचिन तेंदुलकर का 126, लक्ष्मण का 65 और द्रविड़ का 81 रन शामिल था। भारत को 110 रन की बढ़त मिली।

दूसरी पारी: हरभजन का कहर

ऑस्ट्रेलिया दूसरी पारी में 264 रन पर सिमट गई। हरभजन सिंह ने 8 विकेट झटके। भारत को जीत के लिए 155 रन का लक्ष्य मिला, लेकिन लक्ष्य आसान नहीं था। भारत ने 6 विकेट खोकर 155 रन बना लिए और सीरीज 2-1 से जीत ली। हरभजन सिंह ने इस टेस्ट में 15 विकेट लिए और मैन ऑफ द मैच बने।

सौरव गांगुली: आक्रामक नेतृत्व और मानसिक खेल

सौरव गांगुली ने न सिर्फ रणनीति में, बल्कि मानसिक खेल में भी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को मात दी। उन्होंने जानबूझकर टॉस के लिए देर से आना शुरू किया, जिससे ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ को चिढ़ होती थी। चेन्नई टेस्ट में गांगुली ने शेन वॉर्न को स्लेजिंग की, हेलमेट के बिना पॉइंट पर खड़े होकर उन्हें परेशान किया। यह सब टीम इंडिया के आत्मविश्वास और आक्रामकता का नया चेहरा था।

आँकड़े और उपलब्धियां

  • हरभजन सिंह: 3 टेस्ट में 32 विकेट (तीन बार 10+ विकेट), 2 बार मैन ऑफ द मैच, मैन ऑफ द सीरीज
  • वीवीएस लक्ष्मण: 503 रन, जिसमें 281 (ईडन गार्डन्स) भारतीय टेस्ट इतिहास का सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर था (2016 तक)
  • राहुल द्रविड़: 339 रन, जिसमें 180 (ईडन गार्डन्स)
  • सचिन तेंदुलकर: 304 रन, 3 महत्वपूर्ण विकेट (ईडन गार्डन्स की दूसरी पारी में)
  • मैथ्यू हेडन: 549 रन (ऑस्ट्रेलिया के लिए सीरीज में सबसे ज्यादा)
  • हरभजन सिंह ने टेस्ट हैट्रिक लेने वाले भारत के पहले गेंदबाज़ बने (रिकी पोंटिंग, एडम गिलक्रिस्ट और शेन वॉर्न के विकेट)

असर: भारतीय क्रिकेट की नई सुबह

इस सीरीज ने भारतीय क्रिकेट की आत्मा को झकझोर दिया। खिलाड़ियों को यकीन हुआ कि वे दुनिया की किसी भी टीम को हरा सकते हैं। हरभजन सिंह, लक्ष्मण, द्रविड़ और गांगुली की जोड़ी ने भारतीय क्रिकेट को नई पहचान दी। इस जीत के बाद टीम इंडिया ने विदेशों में भी जीतना शुरू किया, और आने वाले दशक में भारत क्रिकेट की नई महाशक्ति बनकर उभरा।

2001 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सिर्फ एक क्रिकेट सीरीज नहीं थी, यह भारतीय जुझारूपन, साहस और आत्मविश्वास की मिसाल थी। यह कहानी आज भी हर क्रिकेट प्रेमी के दिल में जिंदा है, एक प्रेरणा, एक मिसाल, और भारतीय आत्मा की सबसे खूबसूरत जीत।

आँकड़ाविवरण
सीरीज़ का परिणामभारत ने 3 में से 2 टेस्ट जीतकर सीरीज़ 2-1 से जीती
मैन ऑफ द सीरीज़हरभजन सिंह (भारत)
भारत के कप्तानसौरव गांगुली
ऑस्ट्रेलिया के कप्तानस्टीव वॉ
प्रसिद्ध जीतकोलकाता टेस्ट (ईडन गार्डन्स) – भारत ने फॉलोऑन के बाद मैच जीता
हरभजन सिंह के विकेटकुल 3 टेस्ट में 32 विकेट (एक हैट्रिक भी)
वीवीएस लक्ष्मण का प्रदर्शन3 टेस्ट में 503 रन, जिसमें कोलकाता टेस्ट में 281 रन की ऐतिहासिक पारी
राहुल द्रविड़ का योगदानकोलकाता टेस्ट में 180 रन, लक्ष्मण के साथ 376 रन की साझेदारी
ऑस्ट्रेलिया का जीत का सिलसिलाइस सीरीज़ से पहले ऑस्ट्रेलिया ने लगातार 16 टेस्ट जीते थे; भारत ने कोलकाता टेस्ट में यह सिलसिला तोड़ा
पहला टेस्ट (मुंबई)ऑस्ट्रेलिया ने जीता
दूसरा टेस्ट (कोलकाता)भारत ने फॉलोऑन के बाद जीत दर्ज की (Test इतिहास की सबसे महान जीतों में से एक)
तीसरा टेस्ट (चेन्नई)भारत ने रोमांचक मुकाबले में 2 विकेट से जीत दर्ज की

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अभिषेक कुमार
अभिषेक कुमारhttps://cricketwatch.co.in
नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम अभिषेक कुमार है और मैं बचपन से ही क्रिकेट के तरफ काफी आकर्षित रहा हूँ और उसी पैशन को मैं इस वेबसाइट के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास कर रहा हूँ। आशा करता हूँ की आपको मेरे वेबसाइट पे उपयोगी, रोचक और बेहतरीन जानकारियां मिली होंगी।cricketwatch | क्रिकेटवॉच

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सबसे बड़ा झटका यह था कि भारत के स्टार लेग स्पिनर अनिल कुंबले चोट के कारण टीम से बाहर थे। दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया अपने स्वर्णिम दौर में थी, 1999 से 2001 के बीच लगातार 15 टेस्ट मैच जीत चुकी थी। स्टीव वॉ की कप्तानी में वह एक ऐसी टीम बन चुकी थी, जिसे हराना लगभग असंभव माना जाता था। भारत में भी ऑस्ट्रेलिया का दबदबा साफ दिख रहा था।

हरभजन सिंह की वापसी: एक जुआ

अनिल कुंबले के बाहर होने के बाद, भारतीय टीम को एक ऐसे स्पिनर की तलाश थी जो ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को चुनौती दे सके। हरभजन सिंह, जो टीम से बाहर चल रहे थे, उन्हें वापस बुलाया गया। चयनकर्ताओं को उनके स्वभाव और अनुशासन पर शंका थी, लेकिन सौरव गांगुली ने उनकी प्रतिभा पर भरोसा जताया। 

गांगुली ने कहा, "अगर यह दांव उल्टा पड़ता है तो मेरी कप्तानी खतरे में पड़ सकती है, लेकिन मुझे हरभजन चाहिए।" यह एक बड़ा जोखिम था, क्योंकि हरभजन का करियर भी दांव पर था।

Border Gavaskar Trophy 2001 पहला टेस्ट (मुंबई)

22 फरवरी 2001 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में पहला टेस्ट शुरू हुआ। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 10 विकेट से हरा दिया। हरभजन ने जरूर 4 विकेट लिए, लेकिन टीम की हार ने सबको निराश कर दिया। एंडी फ्लावर ने हाल ही में भारत के खिलाफ रिवर्स स्वीप खेलकर भारतीय स्पिन अटैक की कमजोरी उजागर की थी। ऑस्ट्रेलिया ने भी वही रणनीति अपनाई। मैथ्यू हेडन ने सीरीज में रिवर्स स्वीप का भरपूर इस्तेमाल किया, और पहले टेस्ट में ही भारत की बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों विफल रही।

दूसरा टेस्ट – ईडन गार्डन्स: भारतीय क्रिकेट का पुनर्जन्म

पहली पारी: ऑस्ट्रेलिया का दबदबा, हरभजन की हैट्रिक

11 मार्च 2001, कोलकाता का ईडन गार्डन्स, 90,000 दर्शकों के सामने ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी चुनी। मैथ्यू हेडन और जस्टिन लैंगर ने तेज शुरुआत दी। लेकिन हरभजन सिंह ने इतिहास रच दिया, उन्होंने रिकी पोंटिंग, एडम गिलक्रिस्ट और शेन वॉर्न को लगातार गेंदों पर आउट कर भारतीय टेस्ट इतिहास की पहली हैट्रिक ली। ऑस्ट्रेलिया 445 रन बनाकर ऑलआउट हुआ, जिसमें हेडन के 97 और स्टीव वॉ के 110 रन शामिल थे।

भारत की पहली पारी: निराशा और फॉलोऑन

भारतीय बल्लेबाजी बिखर गई। ग्लेन मैक्ग्राथ और जेसन गिलेस्पी की गेंदबाजी के आगे सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे सितारे टिक नहीं पाए। पूरी टीम 171 रन पर सिमट गई। ऑस्ट्रेलिया ने फॉलोऑन दिया, एक ऐसा पल, जब लगभग पूरा देश हार मान चुका था। स्टीव वॉ ने ड्रेसिंग रूम में जश्न शुरू कर दिया, खिलाड़ियों ने गोल्फ खेलने के प्लान बना लिए थे।

दूसरी पारी: लक्ष्मण-द्रविड़ की अमर साझेदारी

दूसरी पारी में, कोच जॉन राइट और कप्तान गांगुली ने बड़ा फैसला लिया, लक्ष्मण को नंबर 3 पर भेजा गया। लक्ष्मण, जिनकी पीठ में दर्द था, और द्रविड़, जो बीमार थे, दोनों क्रीज पर डटे। अगले दो दिन तक दोनों ने बल्लेबाजी की ऐसी मिसाल पेश की, जो आज भी क्रिकेट इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। लक्ष्मण ने 281 और द्रविड़ ने 180 रन बनाए। दोनों ने मिलकर 376 रन की साझेदारी की, जो टेस्ट क्रिकेट में फॉलोऑन के बाद सबसे बड़ी साझेदारी थी। भारत ने 657/7 पर पारी घोषित की।

आखिरी दिन: हरभजन-सचिन का जादू

अब ऑस्ट्रेलिया को 384 रन का लक्ष्य मिला था, लेकिन उनका उद्देश्य मैच बचाना था। गांगुली ने मास्टरस्ट्रोक खेला, सचिन तेंदुलकर को गेंद थमा दी। सचिन ने गिलक्रिस्ट, वॉर्न और स्लेटर के विकेट लिए। हरभजन ने आखिरी विकेट लेकर भारत को 171 रन से ऐतिहासिक जीत दिलाई। यह टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में तीसरी बार था जब कोई टीम फॉलोऑन के बाद मैच जीत पाई थी (पहले इंग्लैंड 1894 और ऑस्ट्रेलिया 1981 में कर चुके थे)।

तीसरा टेस्ट (चेन्नई): निर्णायक जंग

पहली पारी: हेडन का दोहरा शतक, भारत की वापसी

चेन्नई में तीसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 391 रन बनाए, जिसमें मैथ्यू हेडन ने 203 रन की शानदार पारी खेली। भारत ने जवाब में 501 रन बनाए, जिसमें सचिन तेंदुलकर का 126, लक्ष्मण का 65 और द्रविड़ का 81 रन शामिल था। भारत को 110 रन की बढ़त मिली।

दूसरी पारी: हरभजन का कहर

ऑस्ट्रेलिया दूसरी पारी में 264 रन पर सिमट गई। हरभजन सिंह ने 8 विकेट झटके। भारत को जीत के लिए 155 रन का लक्ष्य मिला, लेकिन लक्ष्य आसान नहीं था। भारत ने 6 विकेट खोकर 155 रन बना लिए और सीरीज 2-1 से जीत ली। हरभजन सिंह ने इस टेस्ट में 15 विकेट लिए और मैन ऑफ द मैच बने।

सौरव गांगुली: आक्रामक नेतृत्व और मानसिक खेल

सौरव गांगुली ने न सिर्फ रणनीति में, बल्कि मानसिक खेल में भी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को मात दी। उन्होंने जानबूझकर टॉस के लिए देर से आना शुरू किया, जिससे ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ को चिढ़ होती थी। चेन्नई टेस्ट में गांगुली ने शेन वॉर्न को स्लेजिंग की, हेलमेट के बिना पॉइंट पर खड़े होकर उन्हें परेशान किया। यह सब टीम इंडिया के आत्मविश्वास और आक्रामकता का नया चेहरा था।

आँकड़े और उपलब्धियां

  • हरभजन सिंह: 3 टेस्ट में 32 विकेट (तीन बार 10+ विकेट), 2 बार मैन ऑफ द मैच, मैन ऑफ द सीरीज
  • वीवीएस लक्ष्मण: 503 रन, जिसमें 281 (ईडन गार्डन्स) भारतीय टेस्ट इतिहास का सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर था (2016 तक)
  • राहुल द्रविड़: 339 रन, जिसमें 180 (ईडन गार्डन्स)
  • सचिन तेंदुलकर: 304 रन, 3 महत्वपूर्ण विकेट (ईडन गार्डन्स की दूसरी पारी में)
  • मैथ्यू हेडन: 549 रन (ऑस्ट्रेलिया के लिए सीरीज में सबसे ज्यादा)
  • हरभजन सिंह ने टेस्ट हैट्रिक लेने वाले भारत के पहले गेंदबाज़ बने (रिकी पोंटिंग, एडम गिलक्रिस्ट और शेन वॉर्न के विकेट)

असर: भारतीय क्रिकेट की नई सुबह

इस सीरीज ने भारतीय क्रिकेट की आत्मा को झकझोर दिया। खिलाड़ियों को यकीन हुआ कि वे दुनिया की किसी भी टीम को हरा सकते हैं। हरभजन सिंह, लक्ष्मण, द्रविड़ और गांगुली की जोड़ी ने भारतीय क्रिकेट को नई पहचान दी। इस जीत के बाद टीम इंडिया ने विदेशों में भी जीतना शुरू किया, और आने वाले दशक में भारत क्रिकेट की नई महाशक्ति बनकर उभरा।

2001 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सिर्फ एक क्रिकेट सीरीज नहीं थी, यह भारतीय जुझारूपन, साहस और आत्मविश्वास की मिसाल थी। यह कहानी आज भी हर क्रिकेट प्रेमी के दिल में जिंदा है, एक प्रेरणा, एक मिसाल, और भारतीय आत्मा की सबसे खूबसूरत जीत।

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सीरीज़ का परिणामभारत ने 3 में से 2 टेस्ट जीतकर सीरीज़ 2-1 से जीती
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हरभजन सिंह के विकेटकुल 3 टेस्ट में 32 विकेट (एक हैट्रिक भी)
वीवीएस लक्ष्मण का प्रदर्शन3 टेस्ट में 503 रन, जिसमें कोलकाता टेस्ट में 281 रन की ऐतिहासिक पारी
राहुल द्रविड़ का योगदानकोलकाता टेस्ट में 180 रन, लक्ष्मण के साथ 376 रन की साझेदारी
ऑस्ट्रेलिया का जीत का सिलसिलाइस सीरीज़ से पहले ऑस्ट्रेलिया ने लगातार 16 टेस्ट जीते थे; भारत ने कोलकाता टेस्ट में यह सिलसिला तोड़ा
पहला टेस्ट (मुंबई)ऑस्ट्रेलिया ने जीता
दूसरा टेस्ट (कोलकाता)भारत ने फॉलोऑन के बाद जीत दर्ज की (Test इतिहास की सबसे महान जीतों में से एक)
तीसरा टेस्ट (चेन्नई)भारत ने रोमांचक मुकाबले में 2 विकेट से जीत दर्ज की

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